फर्जी पुलिस अधिकारी बन लूटे 3.55 करोड़, साइबर फ्रॉड से बचना है तो मत करना ये गलती

अगर आपके पास किसी पुलिस अधिकारी का फोन आए और गिरफ्तारी का डर दिखाया जाए तो डरिएगा मत. आजकल ऐसे फ्रॉड चलन में हैं जिनमें ठग पुलिस अधिकारी बनकर फोन कॉल करते हैं और बोलते हैं कि कोई अवैध पार्सल जब्त हुआ जो आपके नाम से आया है. वो आपसे थाने आने को बोलेंगे, फिर दबाव बनाकर मामले को निपटाने के लिए पैसों की मांग करेंगे, इस झांसे में मत पड़िएगा. पैसे ट्रांसफर करने, कोड बताने या क्यूआर कोड स्कैन करने को कहा जाए तो मत करिएगा. ऐसा करते ही आपका अकाउंट सफाचट हो जाएगाइससे मिलता जुलता साइबर फ्रॉड का मामला वाराणसी में सामने आया, जहां फर्जी पुलिस अधिकारी बन गिरफ्तारी का डर दिखाकर 3.55 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की गई. इस ठगी के मामले में 6 लोग गिरफ्तार हुए, उनके पास से मोबाइक, चेक, ATM कार्ड समेत 13.63 लाख रुपये बरामद हुए. इसके अलावा अलग-अलग बैंक अकाउंट में लगभग 65 लाख रुपये सीज किए गए हैं.साइबर फ्रॉड से रहें सतर्क अनजान नंबर से फोन आए किसी पार्सल की आड़ में आपकी गिरफ्तारी की बात कही जाए तो उस पर यकीन न करें, ऐसा होना असल में मुमकिन नहीं है. न ही कोई पुलिस अधिकारी इस तरीके से फोन करता है और न ही ऐसे किसी मामले में आपको गिरफ्तार किया जा सकता है. बेहतर होगा कि ऐसे किसी भी मामले का शिकार होते ही आप मामले की शिकायत साइबर सेल से करें. इसके लिए हेल्पलाइन नंबर और ऑनलाइन प्रोसेस दोनों है. आप चाहें तो 1930 हेल्पलाइन नंबर डायल करके शिकायत कर सकते हैं. या फिर cybercrime.gov.in पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवा सकते हैं.ऑनलाइन फ्रॉड की पहचान कैसे करें पुलिस कॉल या किसी दूसरे बहाने से भी साइबर क्रिमिनल आपको अपना शिकार बना सकते हैं. जानिए ऐसे फ्रॉड की पहचान कैसे की जा सकती है. ऑनलाइन शॉपिंग, बैंकिंग या दूसरी वेबसाइट्स पर लॉग इन करने से पहले, तय करें कि वेबसाइट सेफ है. URL में “https://” और “पैडलॉक” आइकन होना जरूरी है. अनचाहे या संदिग्ध ईमेल में आए लिंक पर क्लिक न करें. खास तौर से ऐसे ईमेल का जवाब न दें जो आपकी पर्सनल जानकारी मांगते हैं. ऑनलाइन शॉपिंग या लॉगिन करने के लिए अनचाहे लिंक्स के जरिए भेजे गए ईमेल को वेरीफाई जरूर कर लें. एक निश्चित समय के गैप में अपनी क्रेडिट रिपोर्ट चेक कर लें, ताकि आपको किसी अनऑफिशियल एक्टिविटी के बारे में पता चल सके. आपके बैंक अकाउंट या क्रेडिट कार्ड के ट्रांजेक्शन की रेगुलर जांच करें, ताकि आप अनअथोराइज्ड या सस्पीशियस लेन-देन की तुरंत पहचान कर सकें. जब भी आप ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करते हैं, तो सतर्कता बरतें और किसी भी अजीब एक्टिविटी को तुरंत रिपोर्ट करें. अगर किसी ट्रांजेक्शन को लेकर शक है तो बैंक को इसके बारे में बताएं.

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