नियमों की धज्जियां उड़ा रहे डॉक्टर ना अधिकारियों की चिंता ना कार्यवाही का डर

माननीय प्रधानमंत्री और माननीय मुख्यमंत्री अपने भाषणों में कितनी ही जनसेवा की बात करें प्रदेश के लोगों के स्वास्थ्य रक्षा के संकल्प की बात करें लेकिन स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ डॉक्टर उनके दावों को धता बताते हुए ले रहे मुफ्त का वेतन। जी हां मामला स्वास्थ्य विभाग का है जहां मध्य प्रदेश के सागर जिले में गढ़ाकोटा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत आने वाले सभी ग्रामीण उप स्वास्थ्य केदो में सी,एच,ओ के पद पर पदस्थ डॉक्टर अपने निरंकुश और तानाशाही स्वभाव को लेकर चर्चा का विषय बने हुए हैं। लगभग 5 साल पहले ग्रामीण क्षेत्रों में शासन द्वारा निर्मित सामुदायिक उप स्वास्थ्य केदो में संविदा आधार पर सी,एच,ओ, के पद पर डॉक्टरों की नियुक्तियां की गई थी,,, जिनको सरकार अच्छा खासा मानदेय भी भुगतान कर रही है,,, लेकिन यह डॉक्टर चार-चार छह छह महीने तक अपने ड्यूटी स्थल पर नहीं पहुंचते। इसके प्रमाण संबंधित ग्रामीण क्षेत्र में पदस्थ एएनएम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका,और गांव के लोग हैं। जिन्होंने पत्रकार साथियों के द्वारा पूछे जाने पर स्पष्ट रूप से कहा कि डॉक्टर साहब दो-चार महीने में एकाध दिन को आते हैं बाकी फोन पर कार्यक्रम की जानकारी पूछ लेते हैं। जब संबंधित डॉक्टर से पत्रकारों ने सवाल किया तो डॉक्टर गोलमोल जवाब देते नजर आए और कुछ डॉक्टरों ने तो बातों ही बातों में अपनी गलती स्वीकार भी की। उपरोक्त संदर्भ में जब मीडिया के साथी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी गढ़ाकोटा डॉक्टर सुरेश सिंघई से मिले तब उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के नियम अनुसार पदस्थ डॉक्टर को हेड क्वार्टर बनाकर 24 घंटे अपने स्वास्थ्य केंद्र पर ही निवास करना है और 8 घंटे की नियमित ड्यूटी के अलावा आपातकालीन सेवाएं भी देनी है। साथ ही कुछ प्राथमिक उपचार करना उनकी जिम्मेदारी है लेकिन डॉक्टर अपने केंद्र पर नहीं जाते,, इसके विपरीत गढ़ाकोटा में अपनी प्राइवेट डिस्पेंसरी खोलकर मरीज का प्राइवेट में इलाज कर रहे हैं और वेतन के साथ शासन के नियमों के विरुद्ध मोटी कमाई कर रहे हैं। ऐसे ही एक डॉक्टर हैं डॉक्टर अजय उपाध्याय जो उप स्वास्थ्य केंद्र संजरा में सी,एच,ओ, के पद पर पदस्थ हैं लेकिन महीनों अपने ड्यूटी स्थल पर नहीं जाते और फोन पर ही जानकारी मंगा लेते हैं,,, डॉ अजय उपाध्याय की तरह लगभग सभी डॉक्टरों के हाल हैं। अब आप सभी जिम्मेदार नागरिक कल्पना कर सकते हैं स्वास्थ्य जैसे संवेदनशील मुद्दे पर यदि डॉक्टर चार-चार महीने नहीं जा रहे और शासन का पैसा खा रहे हैं तब ऐसे डॉक्टरों पर क्या कार्यवाही करना चाहिए???? जब यह सवाल आम जनता से पूछा जाता है तब जनता का एक ही मत होता है कि ऐसे डॉक्टरों पर कठोर से कठोर कार्रवाई की जाए।।।। जिसमें प्रदेश और देश में एक संदेश जाए कि अब जनता की गाढ़ी कमाई से वेतन लेने वाले ऐसे गैर जिम्मेदार डॉक्टरों की खैर नहीं। देखना होगा इस स्वास्थ्य से जुड़ेसामाजिक मुद्दे पर शासन प्रशासन और विभागीय अधिकारी क्या त्वरित कार्यवाही करते हैं।।।

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