सागर मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में पूर्व मंत्री सिंह की दहाड़, दिखाई दिए तीखे तेवर


पूर्व मंत्री एवं खुरई से विधायक भूपेन्द्र सिंह के तेवर एवं भाजपा में मतभेद बीते कई दिनों से आपसी ब्यानबाजी से लगातार सामने आ रही हैं, <br>पर अब आपसी लड़ाई मंच पर भी सामने आने लगी है, एक समय के प्रतिद्वंद्वी अब एक पार्टी में तो साथ आ गए हैं, परन्तु उनके तेवर प्रतिद्वंद्वी की तरह ही नजर आ रहें हैं<br><br>ऐसा ही कुछ मामला सागर गौरव दिवस एव लाखा बंजारा झील के कार्यक्रम में पधारे मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव जी के सामने भी  पूर्व मंत्री भूपेंन्द सिंह ने अपने तीखे तेवर दिखा कर सबका ध्यान अपनी ओर कर लिया, पहले तो उन्होंने नगरनिगम कमिश्नर श्री खत्री द्वारा स्वागत स्वरूप दिए जाने वाले पुष्पगुच्छ(बुके) नहीं लिया, उसके बाद भूपेन्द्र सिंह द्वारा दिए गए भाषण में उन्होंने पोस्टर में उनकी फोटो ना होने वाली बात पर ताना देते हुए कहा फोटो लोगों के दिलों में होनी चाहिए बेनर पोस्टर में नहीं और मेरी फोटो लोगों के दिलों में हैं, मुझे पोस्टर में फोटो की जरूरत नहीं, पूर्व मंत्री द्वारा बिना किसी का नाम लिए सब कुछ कह दिया, इससे पूर्व भी पोस्टर में फोटो ना होने पर उन्होंने ब्यान दिया था, तथा पूर्व मंत्री ने अपने भाषण में सागर विधायक मुख्यमंत्री रहली विधायक श्री गोपाल भार्गव जी सभी की तारीफ की परन्तु वर्तमान मंत्री एवं सुरखी विधायक श्री गोविन्द सिंह का कहीं भी नाम नहीं लिया, जो भाजपा की आपसी लड़ाई दर्शाता है।<br>पूर्व मंत्री के मतभेद क्या है यह अभी स्पष्ट नहीं है, हालांकि उन्होंने कई बार अपने ब्यान में कहा है कि यह उनकी व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है, परन्तु जनता के दो पक्ष होतें है हमेशा पहला पक्ष जो सहायक होता है दूसरा जो विरोधी, <br>पूर्व मंत्री के सहायक पक्ष का यह मानना है कि श्री सिंह वर्तमान मंत्री की कार्यप्रणाली से संतुष्ट नहीं हैं इसलिए मतभेद है और अपने पार्टी के सदस्य का विरोध करना साहस का काम है गलत को गलत कहना हर किसी के बस की बात नहीं। <br><br>दूसरे पक्ष पक्ष जो विरोधी होता है उनका यह मानना है कि पूर्व मंत्री श्री से वर्तमान में मंत्री पद छिन जाने एवं पार्टी में दबदबा कम हो जाने के कारण विरोध भाषी हो गए हैं, इसी लिए अपने पद छिन जाने के गुस्से को ऐसे विरोध में प्रदर्शित कर रहे हैं, जैसे खिसयानी बिल्ली खम्बा नोचे। <br><br>अब कारण जो भी हो पर भाजपा में फूट सामने नजर आ रही है, और ऐ मतभेद आगे कहा तक जाता है यह कहा नहीं जा सकता

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