सागर स्मार्ट सिटी को स्मार्ट दिखाने के लिए मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव जी के कार्यक्रम के पूर्व किऐ गऐ, स्मार्ट कामो की कलई अब उतरती नजर आ रहीं हैं, ऐसा सागर शहर में हमेशा से देखा जाता आ रहा है, कि जब भी किसी बड़े आयोजन कार्यक्रम होता है या किसी बड़े मंत्री का आगमन होता है तो पूरा नगर निगम और लोकल प्रतिनिधि नेताओं द्वारा शहर का कायाकल्प किया जाने लगता है, रोडो की रंगत, सड़को का सुधार, गड्ढो की भराई, दिवारों की पुताई, रातो रात ऐसे की जाती है जैसे एक दिन में ही पूरी शहर को स्वर्ग बना देंगे, और उसके बाद शहर लगता भी बिल्कुल स्मार्ट है, शहर के नागरिक भी उसके बाद स्वयं अपने शहर को पहचान नहीं पाते हैं, और नेता भी कार्यक्रम में शहर के विकास पर किऐ काम की बहुत नेकी मारते हैं, और अखबार न्यूज़ में शहर सुन्दर दृश्य छाए रहते हैं,परन्तु यह काम भी नेताओं के चुनाव के दौरान किऐ गए वादे की तरह सिर्फ दिखावटी होता हैं सिर्फ कुछ दिन के लिए, उसके बाद इन कामो की कलई घुलने लगतीं है, और शहर अपने पुराने रूप में आने लगता हैं, इस पर एक मुहावरा सटीक बैठता है, "चार दिन की चादनी फिर अधेरी रात" ऐसा कि कुछ फिर मुख्यमंत्री और सागर गौरव दिवस के कार्यक्रम के दौरान किऐ गए स्मार्ट सिटी सागर के रंगत काम की धुलाई पांच दिन और एक बारिश के पानी में ही धुल गई,
ककार्यक्रम के पहले आनन फानन में बस स्टैंड सागर की बाहर की दिवारो की जो स्मार्ट पुताई सागर नगर निगम द्वारा करवाई गई थी वह पांच दिन भी न चल सकी और उतरना सुरू हो गई, शायद स्मार्ट नगर निगम द्वारा स्मार्ट पुताई करवाई गई हों जो कार्यक्रम के बाद स्वयं उतर जाती हो ताकि अगले किसी प्रोग्राम कार्यक्रम में फिर नई पुताई हो सकें।
परन्तु क्या यह जनता द्वारा टैक्स के रूप में दिए जाने वाले पैसो की बर्बादी नहीं यह तो सागर प्रतिनिधि और नगर निगम द्वारा हमेशा करवाई जाती है, इस सरकारी पैसे की बर्बादी का जिम्मेदारी कौन लेगा, या फिर नगर निगम इतना सक्षम नहीं है कि ऐसा काम करवा सकें जो कुछ साल नहीं तो कुछ महिनो तो चल ही जाऐ
ननवसिन्धु ससमाचार वीरेन्द्र रजक