भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए आध्यात्मिक विकास एवं राष्ट्रीय भावना का विकास करना परम आवश्यक है: डॉ. विनोद मिश्रा
जिन्हे विसर्जन आता है उन्हे निर्माण सिखाने की आवश्यकता नही: डॉ. ऋतु तिवारी
शासकीय स्वशासी कन्या महाविद्यालय में ‘‘विकसित भारत 2047 की संकल्पना एवं कौशल विकास’’ विषय पर अर्थशास्त्र विभाग द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन किया गया संगोष्ठी में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलगुरू डॉ. विनोद कुमार मिश्रा ने संबोधित करते हुए कहा भारत एक विकाशील राष्ट्र है, एवं विकसित होने की ओर गति से आगे बढ़ रहा है हमें भौतिक विकास के साथ आध्यात्मिक विकास एवं राष्ट्रीय भावना का विकास करना अत्यन्त आवश्यक है। उन्होंने अनेक उदाहरण के माध्यम से विकास की संकल्पना को प्रतिपादित किया। कार्यक्रम की प्रमुख वक्ता डॉ. रितु तिवारी अध्यक्ष अर्थशास्त्र विभाग आर्य कन्या महाविद्यालय नागपुर ने अपने ओजस्वी उद्बोधन में कहा भारत की ऐतिहासिक परम्पराऐं बेहद समृद्धशील रही है, दूसरे देश हमारे शास्त्रों का अनुवाद कर अनुसंधान करते है। निर्माण अथवा सृजन भारत वासियों के डी.एन.ए. में है। बस इस युवा देश को भारत के नाम से प्रेम करना सीखना है, क्योंकि जिन्हें निर्माण आता वे विध्वंस से नही डरते। जिन्हें विसर्जन आता है, उन्हें निर्माण सिखाने की आवश्यकता नहीं होगी। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. के.सी. जैन ने कहा ‘‘भारत स्वर्णिम भारत था हमें उसको विकसित बनाने के लिए पुर्ननिर्माण करना है। महाविद्यालय की जनभागीदारी अध्यक्ष श्रीमती मनीषा विनय मिश्रा ने कहा विकसित भारत में सामाजिक समानता की भावना की स्थापना होना नितांत आवश्यक है, तभी सही अर्थों में विकास का लाभ प्राप्त होगा। रानी अंबतीबाई लोधी विश्वविद्यालय की कुल सचिव डॉ. शक्ति जैन ने कहा कौशल विकास ही वह मार्ग है जिससे भारत के विकसित राष्ट्र होने की संकल्पना साकार होगी। डॉ. आर.के. गोस्वामी ने कहा विकास हमारी प्राथमिक आवश्यकता है, परंतु हमे अपनी परम्परा संस्कृति के साथ विकसित राष्ट्र की संकल्पना पूर्ण करनी होगी। मंचीय अतिथियों द्वारा 70 शोध आलेख वाली पुस्तक का विमोचन किया गया। प्रथम तकनीकी सत्र की अध्यक्षता डॉ. के.सी. जैन एवं डॉ. जय प्रकाश मिश्रा पूर्व कुल सचिव डब्ठन् विश्वविद्यालय छतरपुर विशेषज्ञ रहे। द्वितीय तकनीकी सत्र के डॉ. गिरीश मोहन दुबे पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. एच.एस गौर विश्वविद्यालय सागर, डॉ. विनोद कुमार सेन सहा. प्राध्यापक जनजाति विश्वविद्यालय अमरकंटर थे। तृतीय सत्र की अध्यक्षता डॉ. शशिकांत शुक्ला विषय विशेषज्ञ डॉ. वीरेन्द्र मस्टेनिया सहा.प्राध्यापक हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय थे। सभी सत्रों में शोधार्थी एवं प्राध्यापकों द्वारा शोध पत्रों का वाचन किया गया। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. आनंद तिवारी ने कहा नारी सशक्तीकरण द्वारा ही विकास को प्राप्त किया जा सकता है। समन्वयक डॉ. बिन्दु श्रीवास्तव ने कार्यक्रम की रूपरेखा बतायी संचालन डॉ. अंजना चतुर्वेदी ने किया, आभार डॉ. दीप्ति जैन ने माना। कार्यक्रम में डॉ. मनीषा शर्मा, डॉ. भूपेन्द्र कुमार का अभूतपूर्ण सहयोग रहा। महाविद्यालय की पूर्व प्राध्यापक डॉ गायत्री यादव ,डॉ रेखा बख़्शी, आशा पाराशर ,डॉ. अंकित सूर्यवंशी, डॉ. प्रमेश गौतम, डॉ. नीरज गौतम, डॉ. कमलेश दुबे, डॉ. रेखा वर्मा, डॉ. विशाल मिश्रा, डॉ. गजेन्द्र रावत, शिल्पी जैन, दुर्गेश नंदनी, डॉ. किरण जैन, डॉ. दीप्ति मिश्रा, डॉ. रूचि राठौर, डॉ. रश्मि दुबे डॉ निशा इंद्र गुरु संपूर्ण महाविद्यालय परिवार सहित संभाग के सभी महाविद्यालय के प्राध्यापक उपस्थित रहें।